श्रीगुरु चरन सरोज रज निज मन मुकुर सुधारि। जपत निरन्तर हनुमत बीरा ॥२५॥ सङ्कट तें हनुमान छुड़ावै । व्याख्या – श्री हनुमान जी को जन्म से ही आठों सिद्धियाँ प्राप्त थीं। वे जितना ऊँचा चाहें उड़ सकते थे, जितना छोटा या बड़ा शरीर बनाना चाहें बना सकते थे तथा मनुष्य https://alfredd208bhm2.signalwiki.com/user